मैं अब लेखक नहीं रहा, शायद कभी था भी नहीं... बस एक इंसान की ज़िद थी जो मुझे इतने सालों तक लेखक बनाए रखा था.. अब जब मुझे पता नहीं कि वो मेरा लिखा पढ़ भी रहा है या नहीं तो लिखने का कारण समझ नहीं आता...
कहते हैं कि हमेशा खुद के लिए लिखना चाहिए किसी और के लिए नहीं, लेकिन मेरे साथ ऐसा हो ही नहीं पा रहा, लगता है कि अचानक से उसकी आवाज़ आए जो कहे कि Wow ! तुम दुनिया के सबसे बेहतरीन राइटर हो, and I am so lucky that you write for me.
मुझे बेस्ट नहीं होना था, ऐसा कोई सपना नहीं था ये तो उसी का ख़्वाब था जो मैं इतने साल जीता रहा...
अजीब है ना, मुझे उस वक्त लिखने में कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं थी तो लगातार लिखता रहा और अब जब मैं लिखना चाहता हूँ तो लिखने को कुछ समझ नहीं आता...
ये बहुत बड़ा राइटर ब्लॉक हो गया है, बस उम्मीद करता हूँ कि जल्द ख़त्म हो जाए.. घुटन सी होने लगी है, बिना मन के ग़ुबार को बाहर निकाले हुए...