मैं अब कोरे कागज को,
कोरा ही छोड़ देता हूँ
तुम्हारी फिक्र और कुछ खयाल
ड्राफ्ट में सेव कर छोड़े हैं...
*******
मैंने देखा था
उसके आखिरी समय में उसे
उसकी आवाज़ उसका शरीर छोड़ दे रही थी...
आज सुबह उसकी रूह ने,
आवाज़ लगाई है मेरे सपनों में
रूह से भला उसकी आवाज़ को
कौन जुदा कर पाया है आज तक..
*******
ज़िंदगी के रंग को जाना है कभी,
कभी देखी है
उन गुलाबी-पीले फूलों के चारो ओर
लगी लोहे के कांटे वाली नुकीली बाड़...
कोरा ही छोड़ देता हूँ
तुम्हारी फिक्र और कुछ खयाल
ड्राफ्ट में सेव कर छोड़े हैं...
*******
मैंने देखा था
उसके आखिरी समय में उसे
उसकी आवाज़ उसका शरीर छोड़ दे रही थी...
आज सुबह उसकी रूह ने,
आवाज़ लगाई है मेरे सपनों में
रूह से भला उसकी आवाज़ को
कौन जुदा कर पाया है आज तक..
*******
ज़िंदगी के रंग को जाना है कभी,
कभी देखी है
उन गुलाबी-पीले फूलों के चारो ओर
लगी लोहे के कांटे वाली नुकीली बाड़...