तुम प्यार करोगी न मुझसे,
तब, जब मैं थक के उदास बैठ जाऊँगा
तब, जब दुनिया मुझपे हंस दिया करेगी
तब, जब अँधेरा होगा हर तरफ
तब, जब हर शाम धुंधलके में भटकूँगा मैं उदास
तब एक उम्मीद का दिया जगाये
तुम प्यार करोगी न मुझसे...
तब, जब मैं थक के उदास बैठ जाऊँगा
तब, जब दुनिया मुझपे हंस दिया करेगी
तब, जब अँधेरा होगा हर तरफ
तब, जब हर शाम धुंधलके में भटकूँगा मैं उदास
तब एक उम्मीद का दिया जगाये
तुम प्यार करोगी न मुझसे...
तब, जब मुझे दूर तक तन्हाई का रेगिस्तान दिखाई दे
तब, जब मेरे कदम लड़खड़ाएं इस रेत की जलन से
तब, जब मैं मृगतृष्णा के भंवर में फंसा हूँ
तब, जब इश्क़ की प्यास से गला सूख रहा हो मेरा
तब अपनी मुस्कान ओस की बूंदों में भिगोकर
तुम प्यार करोगी न मुझसे...
तब, जब ये समाज स्वीकार नहीं करे इस रिश्ते को
तब, जब प्रेम एक गुनाह मान लिया जाए
तब, जब सजा मिले हमें एक दूसरे के साथ की
तब, जब मुँह फेर लेने का दिल करे इस दुनिया से
तब इस साँस से लेकर अंतिम साँस तक
तुम प्यार करोगी न मुझसे...
तब, जब ये समाज स्वीकार नहीं करे इस रिश्ते को
तब, जब प्रेम एक गुनाह मान लिया जाए
तब, जब सजा मिले हमें एक दूसरे के साथ की
तब, जब मुँह फेर लेने का दिल करे इस दुनिया से
तब इस साँस से लेकर अंतिम साँस तक
तुम प्यार करोगी न मुझसे...