काफी अरसा हो गया यहाँ कोई हलचल मचाये हुए...एक दिन की ही पोस्ट में सभी बातें और परेशानियों का चिट्ठा खोलना तो सम्भव नहीं है लेकिन फिर भी लिखने की स्वाभाविकता को बरकरार रखने के लिए यहाँ और एक पन्ना रद्दी ठेलने चला आया हूँ...
अब जैसा कि ये फोटू कह रहा है कि टट्टियाँ होती रहती हैं
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जैसे तैसे बिना लैपटॉप और उस अनजाने काले साए से डर के हम अपना जीवन चला रहे थे, इसी बीच हमारे शरीर में कुछ केमिकल लोचा हो गया और अस्पताल का चक्कर लग गया, कहते हैं न गरीबी हो तो आटे का गीला हो जाना बिलकुल नहीं सुहाता है अपना हाल वैसा ही था... अस्पताल के लबादे में बिताये वो दिन बहुत मुश्किल थे, उन दिनों मैंने जाना ज़िन्दगी कोई हॉलिडे पैकेज नहीं है, यहाँ मिलने वाली हर एक सांस के लिए संघर्ष है... आस-पास के बिस्तरों पर लडती जिंदगियों ने भी हौसला दिया कि मेरा दुःख कुछ भी नहीं उन सबके आगे... खैर ये सीरियस बातें फिर कभी, इस पोस्ट में "सेंटियापा" घुसेड़ने का मेरा कोई इरादा नहीं है...
अभी हम एकदम भले चंगे हैं, बिना किसी शोर शराबे के पिछले सन्डे हमारा जन्मदिन भी आके चला गया और कल से हमारा लैपटॉप भी पांच डिजिट गांधीजी के इन्वेस्टमेंट के बाद सामान्य तौर पर सांसें ले रहा है...
अभी हम एकदम भले चंगे हैं, बिना किसी शोर शराबे के पिछले सन्डे हमारा जन्मदिन भी आके चला गया और कल से हमारा लैपटॉप भी पांच डिजिट गांधीजी के इन्वेस्टमेंट के बाद सामान्य तौर पर सांसें ले रहा है...
ज़िन्दगी से दो दो हाथ करके कुछ मिला तो है नहीं हमें, लेकिन फिर भी तैयार हैं हम ज़िन्दगी से इश्क लड़ाने के लिए... आखिर इसे हर पल लगातार जीना पड़ता है, क्यूंकि ज़िन्दगी ड्राफ्ट में सेव नहीं की जा सकती...
अजीब रिश्ता है मेरा ज़िन्दगी के साथ, वो मुझे डराती है, धमकाती है, गिराती है... और मैं हँसता हूँ, मुस्काता हूँ और फिर खड़ा हो जाता हूँ...उफ़ ये मोहब्बत जो है ये ससुरी ज़िन्दगी से...
कितना भी सता ले तू मुझे ओ ज़िन्दगी,
तेरा दीवाना हूँ मैं, तेरे पास ही आऊंगा.
चलते चलते:- अब आप यहाँ तक आ ही गए हैं तो देर से ही सही लेकिन जन्मदिन की बधाई लिए बिना नहीं जाने दूंगा, वैसे भी किसी को कुछ समझ न आये और पोस्ट पर कमेन्ट करके अपने ब्लॉग पर आने का नीमंत्रण देना हो (ऐसा निमंत्रण, नीम के जूस से कम नहीं लगता मुझे), तो पोस्ट की आखिरी लाईन के सहारे ही अंदाज़े लगाये जाते हैं... और हाँ इस पोस्ट में दो-एक जगह "कुत्ता" शब्द का उल्लेख किया था जो अब हटा लिया गया है, क्या पता किसी की भावनाएं आहत हो जाएँ...
अजीब रिश्ता है मेरा ज़िन्दगी के साथ, वो मुझे डराती है, धमकाती है, गिराती है... और मैं हँसता हूँ, मुस्काता हूँ और फिर खड़ा हो जाता हूँ...उफ़ ये मोहब्बत जो है ये ससुरी ज़िन्दगी से...
कितना भी सता ले तू मुझे ओ ज़िन्दगी,
तेरा दीवाना हूँ मैं, तेरे पास ही आऊंगा.
चलते चलते:- अब आप यहाँ तक आ ही गए हैं तो देर से ही सही लेकिन जन्मदिन की बधाई लिए बिना नहीं जाने दूंगा, वैसे भी किसी को कुछ समझ न आये और पोस्ट पर कमेन्ट करके अपने ब्लॉग पर आने का नीमंत्रण देना हो (ऐसा निमंत्रण, नीम के जूस से कम नहीं लगता मुझे), तो पोस्ट की आखिरी लाईन के सहारे ही अंदाज़े लगाये जाते हैं... और हाँ इस पोस्ट में दो-एक जगह "कुत्ता" शब्द का उल्लेख किया था जो अब हटा लिया गया है, क्या पता किसी की भावनाएं आहत हो जाएँ...