उसे पसंद है सीधी-सादी कविताएं
जिनमें शब्दों के जाले न बुने गए हों
जिनमे बस बदहवास
प्रेम लिखा और कुछ नहीं
न उर्दू अल्फ़ाज़ों से खेला हो मैंने
न ही कोई विम्ब ऐसा
जो उसे समझ न आये
जिसमें भाव के अंदर
कोई और भाव न छुपा हो
इन्सेप्शन की तरह..
जिनमें शब्दों के जाले न बुने गए हों
जिनमे बस बदहवास
प्रेम लिखा और कुछ नहीं
न उर्दू अल्फ़ाज़ों से खेला हो मैंने
न ही कोई विम्ब ऐसा
जो उसे समझ न आये
जिसमें भाव के अंदर
कोई और भाव न छुपा हो
इन्सेप्शन की तरह..
मैं उठाता हूँ अपनी डायरी
खोजता हूँ कि
लिखा हो शायद
कुछ ऐसा आसान सा
फिर लगता है जब
ज़िंदगी ही कभी इतनी आसान न थी
तो लिखता कैसे...
अब आसान सा लिखूँ
तो झूठ लगता है,
उतना ही झूठ
जितनी कुछ बीती बातें
लगने लगी हैं आज कल...