अक्सर लोग ऐसी पोस्ट्स तब लिखते हैं जब या तो उनके ब्लॉग की सालगिरह हो या फिर पोस्ट्स की संख्या सैकड़े के गुणनफल को छू रही हों... ऐसे अनदिने पोटली कौन खोलता है भला... लेकिन कई दिनों से सोचते सोचते आखिर आज इस धन्यवाद को आप सभी तक पहुंचा देने का ठान लिया...
पिछले कई महीनों से ब्लॉग पर ऐसी कुछ ख़ास उपस्थिति नहीं रही, लैपटॉप ख़राब होने की मजबूरी के बाद न लिखना कब आदत में तब्दील हो गयी पता ही नहीं चला... लेकिन पिछले कुछ दिनों से कुछ ऐसे लोगों के ईमेल आ रहे हैं जिनको न ही कभी मैंने अपने ब्लॉग पर देखा और न ही उनसे कभी बात हुयी, मैं तो उनके नाम तक नहीं जानता था... वो मेरे लिखे के लिए बधाई देते हैं और अगली फुल फ्लेक्स पोस्ट कब आएगी इसके बारे में पूछते हैं... उन्हें मुझे अपने ब्लॉग पर बुलाने का कोई मोह नहीं, कुछ के तो खुद के ब्लॉग भी नहीं, बस उन्हें सबका लिखा पढना अच्छा लगता है... खैर बड़ी बात ये है कि कई ऐसे लोग हैं जिनसे मेरा कोई संवाद नहीं लेकिन मेरी बातें उन तक पहुँच रही हैं और उन्हें अच्छी लग रही हैं... करीब साढ़े तीन साल पहले एक दिन यूँ ही टाईमपास के लिए हिंदी ब्लॉग लिखने का लिया गया फैसला आज तक मुझे कई अनएक्सपेक्टेड खुशियाँ दे चुका है..
न ही उन सभी खुशियों के पन्ने इस ब्लॉग पर उतारे जा सकते हैं और न ही उन सभी लोगों का जिक्र करना सम्भव हैं जिन्होंने इस ब्लॉग को और मुझे सराहा है, हो सकता एक-आध नाम छूट जाएँ और ऐसी कोई गुस्ताखी मैं नहीं करना चाहता हूँ... बस हर बार की ही तरह अपने उन तीन दोस्तों का जिक्र करना नहीं भूल सकता जिनकी बदौलत मैंने ब्लॉग्गिंग शुरू की थी... मनीष, प्रतीक और निशांत जिस तरह इन लोगों ने इस शुरुआत में मेरा साथ दिया मैं पूरी ज़िन्दगी नहीं भूल सकता... दोस्तों को थैंक्यू बोलने की आदत गन्दी होती है इसलिए नहीं बोलूँगा...
सबसे पहली पोस्ट के रूप में मैंने करीब 1999 के आस-पास लिखी एक कविता संघर्ष पोस्ट की थी... पोस्ट करने के 23 दिनों बाद पहला कमेन्ट आया था संजय भास्कर जी का... कुल ज़मा 6 कमेंट्स से प्रोत्साहित होकर मैं अपनी टूटी-फूटी कवितायें पोस्ट करने लगा... लिखने से ज्यादा पढने का शौक था तो उस दौरान कई बेहतरीन ब्लोग्स भी खंगाल डाले.. सब एक से बढ़कर एक महारथी... कुछ चुनिन्दा पोस्ट्स को अपने ब्लॉग पर भी संग्रहित करना चाहा तो सुनहरी यादें नाम का एक आईडिया यूज किया.. लेकिन फिर समय कम होने के कारण ज्यादा दिनों तक ज़ारी नहीं रख सका... अब तक मेरे ब्लॉग पर लोगों का आना-जाना बढ़ चुका था... लेकिन मेरे ब्लॉग से कई लोगों की जान-पहचान तब बनी जब मैंने पहेलियाँ (पहचान कौन चित्र पहेली) शुरू कीं (उन दिनों पहेलियों का मक्कड़-जाल सा फैला था हिंदी ब्लोग्स पर)... कई दिनों के सफल आयोजन के बाद उसको भी समय के अभाव में बंद कर दिया... अब मैं गद्य लिखने लगा था, बस यूँ ही छोटी-छोटी कहानियां अपनी ज़िन्दगी की... कुछ अपने निजी अनुभव और कुछ ख्यालों की उड़ान को आज भी इस ब्लॉग पर सहेज रहा हूँ...
कविताओं, पहेलियों और कहानियों का ७ मार्च २०१० को शुरू किया गया ये ब्लॉगिंग का सफ़र ताउम्र ज़ारी रहे इसकी कोशिश करता रहूँगा... अब नियमित रूप से इस ब्लॉग पर दिखता रहूँगा और अपने खामोश दिल की सुगबुगाहट से ये आँगन रौशन करूंगा इसी वादे के साथ अपने सभी पढने वालों को सहृदय धन्यवाद देता हूँ...