उस लम्हें में,
रात का स्याह रंग बदल रहा था
तुम्हें याद तो होगा न
चांदनी मेरा हाथ थामे
सो रही थी गहरी नींद में,
और रौशन कर रही थी
मेरे दिल का हर एक कोना...
**********
वो दिन भी याद है मुझे,
जब कभी चुपके से
तुम मुझे टुकुर-टुकुर
ताक लिया करती थी,
जैसे मेरे वजूद की चादर हटाकर
ढूंढ रही हो
कोई जाना-पहचाना सा चेहरा,
तुम लाख मना करो
पर तुम्हें था तो इंतज़ार जरूर किसी का
क्यूंकि वो दिन याद है मुझे
जब चुपके से तुम मुझे
टुकुर-टुकुर ताक लिया करती थी...
**********
कभी-कभी
खो जाता हूँ ,
मैं अपने स्वयं से बाहर निकलकर
और देखता रहता हूँ
तुम्हें,
चुपचाप...
रात का स्याह रंग बदल रहा था
तुम्हें याद तो होगा न
चांदनी मेरा हाथ थामे
सो रही थी गहरी नींद में,
और रौशन कर रही थी
मेरे दिल का हर एक कोना...
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वो दिन भी याद है मुझे,
जब कभी चुपके से
तुम मुझे टुकुर-टुकुर
ताक लिया करती थी,
जैसे मेरे वजूद की चादर हटाकर
ढूंढ रही हो
कोई जाना-पहचाना सा चेहरा,
तुम लाख मना करो
पर तुम्हें था तो इंतज़ार जरूर किसी का
क्यूंकि वो दिन याद है मुझे
जब चुपके से तुम मुझे
टुकुर-टुकुर ताक लिया करती थी...
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कभी-कभी
खो जाता हूँ ,
मैं अपने स्वयं से बाहर निकलकर
और देखता रहता हूँ
तुम्हें,
चुपचाप...