मेरी सारी दौलत , खोखले आदर्श,
नकली मुस्कराहट
सब छीनकर,
दो पल के लिए ही सही
मेरा बचपन लौटा देती है माँ...
कभी डाँटकर, कभी डपटकर
कभी माथे को सहलाकर,
अपने होने का एहसास दिलाती है माँ...
जब डरा सहमा सा,
रोता हूँ मैं
मेरे आंसू पोंछकर,
अपने आँचल में छुपा लेती है माँ...
जब रात्रिपहर में निद्रा से दूर
करवट बदलता रहता हूँ मैं,
अपनी गोद में सर रख कर
लोरी सुनाती है माँ...
परेशान वो भी है अपनी ज़िन्दगी में बहुत,
पर हँसी के परदे के पीछे,
अपने सारे गम छुपा जाती है माँ .......
Tuesday, March 16, 2010
Sunday, March 07, 2010
संघर्ष
अंतहीन समंदर,आती जाती तेज़ लहरें,
एक आशंका लिए कि,
मझधार यह कहाँ ले जाएगी,
ज़िन्दगी से लड़ते- लड़ते मौत दे जाएगी,
एक किनारे की तलाश में,
निगाहें समेटना चाहती हैं समंदर,
मायूसी की घटा है चेहरे पर,
बयां करती एक दास्तान,
दरम्यान यह ज़िन्दगी मौत का
एक पल के झरोखे में मिटा जाएगी,
एक आशंका लिए कि,
मझधार यह कहाँ ले जाएगी,
ज़िन्दगी से लड़ते- लड़ते मौत दे जाएगी,
एक किनारे की तलाश में,
निगाहें समेटना चाहती हैं समंदर,
मायूसी की घटा है चेहरे पर,
बयां करती एक दास्तान,
दरम्यान यह ज़िन्दगी मौत का
एक पल के झरोखे में मिटा जाएगी,
डूबना होगा अगर मुकद्दर मेरा,
लाख कोशिश न रंग लाएगी,
एक साहिल की तलाश में यह ज़िन्दगी बीत जाएगी...
क्या करूँ, मान लूं हार या करूँ संघर्ष आखिरी क्षण तक,
क्या होगा अंजाम यह तो तकदीर ही बताएगी........
लाख कोशिश न रंग लाएगी,
एक साहिल की तलाश में यह ज़िन्दगी बीत जाएगी...
क्या करूँ, मान लूं हार या करूँ संघर्ष आखिरी क्षण तक,
क्या होगा अंजाम यह तो तकदीर ही बताएगी........
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