Sunday, March 07, 2010

संघर्ष

अंतहीन समंदर,आती जाती तेज़ लहरें,
एक आशंका लिए कि,
मझधार यह कहाँ ले जाएगी,
ज़िन्दगी से लड़ते- लड़ते मौत दे जाएगी,
एक किनारे की तलाश में,
निगाहें समेटना चाहती हैं समंदर,
मायूसी की घटा है चेहरे पर,
बयां करती एक दास्तान,
दरम्यान यह ज़िन्दगी मौत का
एक पल के झरोखे में मिटा जाएगी,
डूबना होगा अगर मुकद्दर मेरा,
लाख कोशिश न रंग लाएगी,
एक साहिल की तलाश में यह ज़िन्दगी बीत जाएगी...
क्या करूँ, मान लूं हार या करूँ संघर्ष आखिरी क्षण तक,
क्या होगा अंजाम यह तो तकदीर ही बताएगी........ 
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