आज यूँ ही फेसबुक पर घूमते घूमते ये पंक्तियाँ मिलीं, अच्छी लगी इसलिए आपके साथ बांटना चाहूँगा.....
अगर इन पंक्तियों के बारे में आपको जानकारी हो तो जरूर बताएं.......
हर ख़ुशी है लोगों के दामन में,
लेकिन एक हँसी के लिए वक़्त नहीं.
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
ज़िन्दगी के लिए ही वक़्त नहीं.
माँ की लोरी का एहसास तो है,
पर माँ को माँ कहने का वक़्त नहीं.
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं.
आखों में है नींद बड़ी ,
पर सोने का ही वक़्त नहीं.
दिल है ग़मों से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक़्त नहीं.
पराये एहसासों की क्या क़द्र करें,
जब अपने सपनो के लिए वक़्त नहीं.
तू ही बता ए ज़िन्दगी इस ज़िन्दगी का क्या होगा ,
कि हर पल मरने वालों को जीने के लिए भी वक़्त नहीं....