Wednesday, September 26, 2012

तुम जो नहीं हो तो... आ गए बताओ क्या कर लोगे...

कल रात देवांशु ने पूरे जोश में आकर एक नज़्म डाली अपने ब्लॉग पर, डालने से  पहले हमें पढाया भी, हमने भी हवा दी, कहा मियाँ मस्त है छाप डालो... और तभी से उनकी गुज़ारिश है कि हम उसपर कोई कमेन्ट करें (वैसे सच्चे ब्लॉगर लोग के साथ यही दिक्कत है , उन्हें कमेन्ट भी ढेर सारे चाहिए होते हैं ...) हमें भी लगा, ठीक है चलो साहब की शिकायत दूर किये देते हैं ... कमेन्ट क्या पूरी की पूरी पोस्ट ही लिख मारी ...
ये है उसकी लिखी नज़्म ...
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तुम जो नहीं हो तो...
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चाँद डूबा नहीं है पूरा, थोड़ा बाकी है |

वो जुगनू जो अक्सर रात भर चमकने पर,
सुबह तक थक जाता, रौशनी मंद हो जाती थी,
अभी भी चहक रहा है, बस थोड़ा सुस्त है |


यूँ लगता है जैसे रात पूरी, जग के सोयी है ,
आँख में जगने की नमी है,
दिल में नींद की कमी |
सूरज के आने का सायरन,
अभी एक गौरेया बजाकर गयी है |
अब चाँद बादलों की शाल ओढ़ छुप गया है ,
सो गया हो शायद, थक गया होगा रात भर चलता जो रहा |
मेरी मेज़ पर रखी घड़ी में भी,
सुबह जगने का अलार्म बज चुका है |
गमलों में बालकनी है, डालें उससे लटक रही हैं ,

फूल भी हैं , बस तुम्हारी खुशबू नहीं. महकती ..

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और अब कुछ बातें जो मुझे कहनी है ....
कई सारी बातें हैं जो लेखक (या कवि, जो भी कह लो क्या फर्क पड़ता है... कौन सा उसने नोबेल पुरस्कार मिलने वाला है ...) को बतानी ज़रूरी हैं....
तुम जो नहीं हो तो... (जब नहीं है तो ये हाल है, अच्छा ही है नहीं है.. होता तो ये सब पढ़कर निकल ही लेने में फायदा नज़र आता उसको भी...)
वो जुगनू जो अक्सर रात भर चमकने पर,
सुबह तक थक जाता, रौशनी मंद हो जाती थी,
साला, परेशान तुम हो और उस बेचारे जुगनू को रात भर थकाए दे रहे हो... वो भी सोचता होगा किस आशिक के चक्कर में पड़ गए... हद्द होती है यार.... बेचारा जुगनू.... :-(
यूँ लगता है जैसे रात पूरी, जग के सोयी है ...
बताईये रात को भी जगाकर खुश हो रहे हैं साहब, ज़रा भी नहीं सोचा कि और भी आशिक होंगे जिनको रात को जल्दी से सुला देने में ज्यादा इंटरेस्ट होगा... ऐसे स्वार्थी किस्म के आशिक न खुद भी कुछ नहीं करेंगे दूसरों पर भी रात का पहरा लगा दिया है...
आँख में जगने की नमी है,
दिल में नींद की कमी..

ये तो हमको हार्डवेयर प्रॉब्लम लगता है, देखो बेटा हमारी बात मानो तो हमारे घर के पास एक होम्योपैथी का बहुत अच्छा क्लिनिक है वहां तुमको दिखवाये देते हैं... गंभीर बीमारी लगती है...
सूरज के आने का सायरन,
अभी एक गौरेया बजाकर गयी है..

अबे रात के पौने ग्यारह बजे की पोस्ट में तुमको कौन सा सूरज सायरन दे रहा है, भारी घनघोर समस्या है, हमारे ख्याल से तो तुमको अगल बगल के पडोसी गाली दे रहे हैं, अरे इतनी देर से रात को जगाकर रखा है... और भगवान् के लिए कौवे को गौरैया मत समझा करो यार... :-(
अब चाँद बादलों की शाल ओढ़ छुप गया है ,
सो गया हो शायद, थक गया होगा रात भर चलता जो रहा..

अबे दुनिया की ऐसी कोई चीज छोड़ी भी, शाल ओढ़ कर छुप गया है, और नहीं तो क्या... छुपे नहीं तो क्या करे बेचारा... देखो बेटा बाकी सब तो ठीक है, लेकिन चाँद को यूँ परेशान मत किया करो बहुत लोगों की बददुआ लगने का खतरा है... क्यूंकि बच्चों के लिए वो मामा है, शादीशुदा स्त्रियाँ उसी चाँद को देखकर करवाचौथ का व्रत तोडती है (और देखो न करवाचौथ आने भी तो वाला है..) और प्रेमियों के लिए तो चाँद सब कुछ है.. तो बच के ही रहो...
मेरी मेज़ पर रखी घड़ी में भी,
सुबह जगने का अलार्म बज चुका है..

हाँ सही है अब जाग जाओ और दफ्तर को निकलो... खुद तो वेल्ले बैठे रहेंगे और दुनिया को भी परेशान करते रहेंगे... हुह्ह्ह्ह...
गमलों में बालकनी है, डालें उससे लटक रही हैं ,
फूल भी हैं , बस तुम्हारी खुशबू नहीं महकती ...
गमलों में बालकनी ??? फूलों से तुम्हारी (किसकी) खुशबू ??? लो जी अब तो प्रॉब्लम सोफ्टवेयर तक पहुँच चुकी है... जितनी जल्दी हो सके आगरे का रुख करो...
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ये पोस्ट सिर्फ इसलिए ताकि लोग इसी तरह नज़्म लिखते रहे और उनकी सप्रसंग व्याख्या के साथ साथ हमारे ब्लॉग का भी दाना पानी चलता रहे... :) मुझे पता है देवांशु माईंड नहीं करेगा क्यूंकि उसके लिए उसको घुटनों पर जोर डाल डाल के माईंड खोजना पड़ेगा और वो तो मिलने से रहा... कसम से....
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