Friday, May 17, 2013

मेरी आवाज़ ही मेरी पहचान है, ग़र याद रहे...

         कभी-कभी ज़िन्दगी में कुछ बुरा होना ब्लेसिंग इन डिसगाईज हो जाता है.. अब देखिये न पिछले दो महीने से लैपटॉप ख़राब पड़ा है इन दिनों कुछ भी नहीं लिख सका, कुछ लिखा भी तो डायरी के पन्नों तक ही रहा.. फिर एक दिन बैठा बैठा उन पन्नों को पढना शुरू किया और साथ ही साथ रिकॉर्ड करना भी, जानता हूँ मेरी आवाज़ के हिसाब से पॉडकास्ट एक कोई ख़ास अच्छा आईडिया तो नहीं ही है, फिर भी अपनी आवाज़ में अपना कुछ लिखा सुनना किसे अच्छा नहीं लगता... कुछ गलतियां हुईं, सुधारता रहा और आज सब कुछ सुना तो दो पन्ने अच्छे बन पड़े हैं, उन दो पन्नों को पॉडकास्टस के रूप में यहाँ रख रहा हूँ... अगर कोई गलती लगे तो ध्यान ज़रूर दिलाईयेगा...





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