परसों शाम में एक बहुत ही दुखदायी खबर मिली, मेरे इंजीनियरिंग कॉलेज की पंजाब शाखा में पढने वाले प्रथम वर्ष के एक छात्र ने आत्महत्या कर ली, वजह ख़राब रिजल्ट | मात्र १९ वर्षीय पटना के इस छात्र ने शायद कुछ ज्यादा ही हताश होकर ये कदम उठा लिया | भगवान् उसकी आत्मा को शान्ति दे | लेकिन इस घटना ने एक बार फिर सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर क्यूँ ???
( ये चित्र फिल्म ३ IDIOTS से लिया गया है )
आत्महत्या, ये शब्द कोई नया नहीं है | सदियों से लोग आत्महत्या करते आये हैं, बस परिस्थितियाँ बदल गयी हैं... पहले एक गरीब किसान या मजदूर अपनी गरीबी या भुखमरी से तंग आकर आत्महत्या करता था और आज भारत के श्रेष्ठ संस्थानों में पढने वाले युवा एक ज़रा सी नाकामयाबी से तंग आकर अपनी ज़िन्दगी ख़त्म करने जैसा कदम उठा लेते हैं | अरे आत्महत्या तो चंद्रशेखर आज़ाद ने भी की थी, लेकिन क्या उस परिस्थिति की तुलना आज के परिपेक्ष्य में की जा सकती है ???
छात्रों और छात्राओं की आत्महत्या की बढती घटनाओं के पीछे सबसे बड़ा कारण है आगे निकलने की होड़, लगातार बढती ये प्रतिस्पर्धा हमारे दिमाग पर इतना प्रभाव डाल रही है कि एक ज़रा सी असफलता और हम उत्साह खो देते हैं...
वैसे मेरा निजी विचार ये है कि बच्चे अपने रिजल्ट से नहीं बल्कि उसका प्रभाव उनके घर में क्या होगा इस डर में आत्महत्या करते हैं.... आज के समय में माता-पिता कुछ ज्यादा ही सख्त होते जा रहे हैं.... बच्चों को विश्वास में रखना जरूरी है...
मैं अभी भी विद्यार्थी जीवन से ही गुजर रहा हूँ इसलिए इस हताशा को समझ सकता हूँ, लेकिन इस हताशा को इतना भी बढ़ने नहीं दिया जाए कि आत्महत्या की नौबत आये... अपने लिए कुछ हलके फुल्के लम्हें तलाश करें, अगर आपका कोई शौक हो तो उसको भी थोडा समय दें... बाकी आप लोग खुद समझदार हैं...
अंत में सभी माता-पिताओं से भी एक गुज़ारिश करना चाहूँगा, अपनी व्यस्त दिनचर्या में से थोडा समय अपने बच्चों के लिए भी निकालें, अपनी आकाँक्षाओं और सपनों का बोझ उनपर न डालें.. उनको भरोसे में लें, उनको ये विश्वास दिलाएं कि किसी भी परीक्षा का परिणाम उनकी ज़िन्दगी से ज्यादा कीमती नहीं है | याद रखें ये ज़िन्दगी अनमोल है, और इसको संभाल कर रखने में उनकी मदद करें......
******************************************************************************
चलते चलते ये गीत भी सुन लें...