Monday, April 15, 2013

ये तो बस एक साल गुज़रा है, सारे जनम तो बाकी हैं अभी...

एक साल !!! क्या बस सिर्फ एक साल ... ऐसा लगता है जैसे मैं तुम्हे बरसों से जानता हूँ ,सदियों से ,जन्मों से ...
फिर तो लगता है अभी तो बस एक साल बीता है ,न जाने कितने जन्म बाकी हैं अभी... कुछ चीजें अन एक्स्प्लेनेबल होती हैं... बीता एक साल भी कुछ ऐसा ही था... मुझे मालूम है बीते साल में मैं तुम्हे शायद उतनी खुशियाँ नहीं दे सका जितने की तुमने उम्मीद की होगी फिर भी आने वाले समय की पोटली से ढेर सारा प्यार निकाल कर तुम्हे दे सकूं यही तमन्ना है ...

बस तुमसे एक छोटी सी गुजारिश है, तुम यूं छोटी छोटी बातों पर परेशां न हो जाया करो, मुझे अपने आप से नफरत सी होने लगती है ... तुम्ही हर एक मुस्कान कीमती है मेरे लिए .....

                                                            ***
तुम्हारी ये अटखेलियाँ करती हंसी ,
जैसे हो कोई ,
चांदनी सलोनी सी 
उतर आती है आँगन में 
और रोशन कर देती है 
मेरे दिल के हर एक कोने को ..
तुम्हारी ये चंचल मुस्कान 
बदल देती है हर गम की परिभाषा ..
है बस एक प्यार भरी गुजारिश 
कि उम्र के हर निराशजनक दौर में,
हर उस समय 
जब आस पास हो कई आलोचनात्मक  वजहें 
उनके बीच से गुजरते हुए भी 
बनी रहनी  चाहिए 
तुम्हारे चेहरे पर ये 
ये प्यार भरी मुस्कान .....
                                                            ***
अभी तो आगाज -ए -इश्क  है जाना, अंजाम अभी बाकी है,
गुजारने  है कई सारे दिन अभी, कई सुहानी शाम  अभी बाकी है ..."
                                                            ***
मैंने सोचा था तुम्हारी इन प्यारी प्यारी आँखों  में कभी आंसू न आने दूं पर मैं तो हरजाई निकला तुम्हे ढेर सारा परेशां करता हूँ न... चलो अभी माफ़ कर दो ,शायद तुम्हारे लिए कुछ तोहफा छुपा रखा हो मेरी जिंदगी ने ... 

तुम्हे खबर भी कहा है जानां ...
कि तुम मुझे जिंदगी सी लगती हो ..
तुम्हारी जुल्फों से होकर गुजरती है
ये ठंडी हवाएं जब ..
जाने क्यों सिहर मैं जाता हूँ ..
वो चाँद का बावरापन तो देखो 
हर शाम झाँकता है तुम्हारे आँगन में 
किसको सुनाऊं आखिर
हाल मैं अपने दिल का 
देखता वो तुम्हें है 
और जल मैं जाता हूँ ..
ये शरबत के गिलास की कुछ बूँदें 
जब तुम्हारे लबों से ढुलक जाती हैं 
पीती तुम हो और भीग मैं जाता हूँ 
तुम्हे खबर भी कहा है जानां ...
कि तुम मुझे जिंदगी सी लगती हो...
                                                            ***
नीचे लिखी तुकबंदी को ग़ज़ल कहने कि गलती नहीं करूंगा क्यूंकि शेर लिखने के कई नियम होते हैं जो मुझे आते नहीं... खैर ये जो कुछ भी है बस तुम्हारे लिए ही है...  

मुरीद हूँ मैं तेरी हर एक मुस्कान का हमनफस ,
हटा दे ये पर्दा उस चिलमन से, कि अब शाम होने को है ..

शाम भी है, सुकून भी और तेरा साथ भी है हमदम,
बस ठहर जाओ थोड़ी देर कि, बरसात भी अब होने को है ..

यूं बाहर बाहर झांक कर कैसे जान पाओगी मेरी मोहब्बत को तुम,
गले मिलो तो पता चले किस कदर मेरा दिल तेरा होने को है...
                                                            ***
"मेरे पास तुम्हे देने के लिए कुछ खास तो नहीं है आज बस ये इत्तू सा लम्हा तुम्हे दे रहा हूँ, मुझे पता है इस लम्हें में तुम मुस्कुरा रही होगी... देखो न मुस्कराते हुए तुम कितनी प्यारी लगती हो....  

चार शब्द समेटता हूँ मैं,
बस तुम्हारे लिए....
इन लफ्जों को कोई 
अक्स-ए -गुल समझ लेना 
और टांक लेना अपनी 
जुल्फों के जूड़े में...
वो इब्तिदा -ए -इश्क की 
एक शाम थी जब 
हमने अपना खाली दिल 
तुम्हारे नाम कर दिया ...
आँखों से होते हुए तुम्हारी हम
दिल से, अपने दिल के, दिल में बस गए 
और सपनो से बुनी इस जिंदगी को 
सुबह-ओ-शाम कर दिया ....
                                                            ***
"तुम ढूँढती रहती हो मेरी आँखों में अपने प्यार की निशानियाँ ,
और मुझे रश्क है बस इस बात का कि मैंने तुम्हारी आँखों को देखा है ....
                                                            ***
ये पॉडकास्ट जो बड़े ही प्यार से सलिल चाचू ने रिकॉर्ड करके भेजा था, उसे भी आज ही अपने ब्लॉग पर लगा पा रहा हूँ....

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