Tuesday, June 14, 2011

आईये सैर करें -१

            पिछले दिनों ऑफिस के काम के सिलसिले में करीब 25 दिनों की दक्षिण भारत की यात्रा पर था | ये अपने आप में एक अनोखा अनुभव था... कभी सोचा नहीं था कि इतने कम समय में इतनी जगह जा पाऊंगा, भले ही वहां ज्यादा घूमने का मौका न मिला हो लेकिन वहां के लोग. रहन सहन, संस्कृति और नयी जगहों को जानने का मौका मिला... तो इसी सफ़र पर आपको भी अपने साथ ले जाने के लिए हाज़िर हूँ... ज्यादातर समय अकेला ही रहा इसलिए ज्यादा तस्वीरें तो नहीं हैं मेरी, लेकिन अनुभव मेरे अपने हैं... 
             आज बात करते हैं केरल में बसे त्रिवेंद्रम से करीब ८५ किलोमीटर दूर एक छोटे से शहर कोल्लम की |
कोल्लम रेलवे स्टेशन 

               25 मई को सुबह करीब ११ बजे कोल्लम पहुंचा | गर्मी इतनी ज्यादा कि पूछिए मत, और उसपर से रहने के लिए होटल भी ढूंढना था, उस कड़ी धूप में आधे घंटे की कड़ी मेहनत के बाद पसीने से तरबतर होकर आखिरकार एक होटल मिल ही गया |
   
                  अब बारी थी पेट पूजा की, पास में ही एक होटल में खाना खाया, [खाना ऐसा कि केवल औपचारिकता ही निभा सका] और आस पास की जगहों के बारे में पता किया | पता चला कि एक किलोमीटर दूर ही कोल्लम बीच है, शाम को जाने का प्रोग्राम बना लिया | कमरे में करने को कुछ था नहीं तो घोड़े बेच दिए...
                   करीब ५ बजे शाम में निकल पड़ा समुन्दर की लहरों का मज़ा लेने | समुद्र हमेशा से ही मुझे आकर्षित करता आया है, इसकी विशालता और इसकी तेज लहरें मुझे रोमांचित कर देती हैं | कितना कुछ समेटे हुए है ये अपने अन्दर... खैर, लोगों से पूछते पूछते पहुँच गया बीच पर | बीच के पास में ही एक विशालकाय मूर्ति बनी थी |
                 ज्यादा भीड़ नहीं थी, अधिकतर लोग बीच के पास ही बने पार्क में स्नैक्स के साथ समुद्र की ठंडी हवा का मज़ा ले रहे थे, यहाँ बीच में नहाने की अनुमति नहीं थी क्यूंकि लहरें बहुत ही ज्यादा तेज और ऊंची थीं | कुछ लोग किनारे किनारे खड़े होकर अपने पैर भिंगो रहे थे, मैं भी उन्ही लोगों में शामिल हो गया |


                 काफी देर तक यूँ ही समुन्दर की ठंडी लहरों के मज़े लेता रहा, और फिर आठ बजे के करीब वापस निकल पड़ा अपने कमरे की तरफ...
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