Thursday, July 07, 2011

साल दर साल कम होती ज़िन्दगी...(happy b'day to me)...

             लो जी एक बार और मेरा जन्मदिन आ गया, और इसके साथ ही मैंने यहाँ इस खूबसूरत से सफ़र में २६ साल गुज़ार दिए | वैसे इस जन्मदिन में कुछ ख़ास तो है नहीं, हर साल ही आता है... बस इस दिन का इंतज़ार इसलिए ज्यादा होता है कि इसी बहाने कुछ भूले बिसरे लोग याद कर लिया करते हैं... अभी रात में बालकनी में बैठा हूँ और लोगों की ढेर सारी बधाईयों का शुक्रिया अदा कर रहा हूँ... सोच रहा हूँ हम जन्मदिन पर खुशियाँ क्यूँ मनाते हैं शायद इसलिए कि इस दिन हमें इस ज़िन्दगी जैसी खूबसूरत नेमत से रूबरू होने का मौका मिला, अरे आप क्या सोचने लगे .. ज़िन्दगी जैसी भी है खूबसूरत ही है....
              और जब लोग मुझे विश करते हैं तो बहुत अच्छा लगता है | अब तो ये सोशल नेटवर्किंग साईट्स के आ जाने से किसी को बर्थडे विश करना भी आसान हो गया है, ज्यादा कुछ करने की ज़रुरत नहीं है बस हैप्पी बर्थडे टाईप कीजिये और भेज दीजिये... पहले भले ही कम लोग होते थे विश करने वालों में लेकिन शायद ज्यादा ख़ुशी मिलती थी |  
               एक पुराना किस्सा याद आ रहा है, मैं जब पटना में लॉज में रहता था तो उस समय उस एरिया के आस पास के सारे लड़कों के फोन बगल वाले टेलीफोन बूथ में आते थे, और वो अंकल जो टेलीफोन बूथ चलाते थे बहुत ही अच्छे और सरल स्वभाव के थे, सभी को बाकायदा बुलाते थे या खबर पहुंचवा देते थे...हमारा लॉज बगल में ही था, तो ५ मिनट बाद फोन करने को कहकर वहां के लड़कों को बुला लिया जाता था... साल २००३ की बात है, मैंने उन्हें पहले ही कह दिया कि अंकल आज मेरा जन्मदिन है हो सकता है मेरे कुछ ज्यादा फोन आयें आज तो उन्होंने कहा कोई बात नहीं, तुम चाहो तो यहीं मेरे घर में ही बैठो आराम से... मैंने उन्हें कहा यूँ बेकार क्यूँ बैठूंगा भला, आज आप आराम कीजिये आज बूथ का ज़िम्मा मुझ पर सौंपिए.. काफी न नुकुर के बाद वो राज़ी हो गए, फिर क्या था मैंने उस दिन उस टेलीफोन बूथ को चलाने का बीड़ा उठाया, इस तरह मेरे दोस्तों को मुझसे बात करने के लिए दुबारा फोन करने की ज़रुरत भी नहीं पड़ी और मैंने अपने १८वें जन्मदिन को यादगार बना दिया... 
               वो भी बहुत अच्छे दिन थे, कई दोस्त तो उन दिनों ग्रीटिंग कार्ड भी दिया करते थे... फिर धीरे धीरे मोबाइल का प्रचलन बढ़ा तो हर जन्मदिन पर बधाईयों का सिलसिला भी बढ़ गया... तब तो कई दोस्त रात १२ बजे ही विश करने लगे, बहुत ख़ुशी मिलती है न जब कोई रात में विश करे....ऐसा लगता है उसको मेरे जन्मदिन का इंतज़ार ही था जैसे.... :)
                इस पोस्ट को लिखते वक़्त सोचा था कुछ दार्शनिक जैसा गंभीर पोस्ट लिखूंगा लेकिन अपने जन्मदिन की ख़ुशी को शायद छुपा नहीं पा रहा हूँ... तो आप भी जल्दी से मुझे विश कर दीजिये, और अग्रिम धन्यवाद भी लेते जाईये... एक गाना याद आ रहा है...
हम भी अगर बच्चे होते, नाम हमारा होता डब्लू-बबलू
खाने को मिलते लड्डू और दुनिया कहती
हैप्पी बर्थडे टू यू..... :)
अरे हाँ ब्लॉग का कलेवर भी बदल दिया गया है, आखिर परिवर्तन संसार का नियम है... ==========================================================
चलते चलते....

               मेरे जन्मदिन के साथ ही आज एक ऐसे इंसान की पुण्यतिथि है जिसने महज २५ वर्ष की उम्र आज से १२ साल पहले अपनी जान इसलिए दे दी ताकि हम जैसे लोग अपना २६वाँ जन्मदिन मना सकें, बात कर रहा हूँ एक महान शहीद विक्रम बत्रा की जो आज के ही दिन कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे...... इस सिपाही को मेरा शत शत नमन...
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