कल रात उसकी बेटी का कुछ इज्जतदार घराने के लड़कों ने बलात्कार कर दिया, कहते हैं कल नया साल जो शुरू हो रहा था, जश्न मनाना तो बनता था न... अब वो पगली लड़की क्या जाने जश्न क्या होता है, उसने बात अपनी आबरू पर ले ली .... बस फिर भी क्या था... दे दी अपनी जान... और वो बूढ़ा... नए साल का तोहफा भी उसको क्या मिला... बेटी के फटे कपडे और जश्न मनाती हुयी चीखती लाश... कसूर भी क्या था उस बुड्ढे का, बेचारा दो जून की रोटी जब नहीं कमा पाया, उसको लगा उसकी बेटी किसी शरीफ घर में बरतन-बासन कर लेगी, घर में दो पैसे आ जायेंगे... लेकिन क्या फलसफा है, जितना ही रोशन घर हो उसमे रहने वाले लोगों के मन में उतना ही अँधेरा बढ़ता जाता है...
उस बुड्ढे को तो खुश होना चाहिए, जान छूटी बेटी नाम की इस बला से... जिंदा रह के भी क्या कर लेती, फिर किसी इज्जतदार घराने में जाती और दहेज़ के लिए ज़ला दी जाती... पता नहीं क्यूँ रो रहा है, पगला है बिलकुल... उसे तो जश्न मनाना चाहिए... अरे भाई कलेंडर जो बदल गया है... क्या हुआ जो उसके पास रहने को घर नहीं, क्या हुआ जो इतनी ठिठुरती सर्दी में उसने कपडे नहीं पहने, क्या हुआ जो अपनी बेटी की लाश को जलाने के लिए उसके पास पैसे नहीं... उसे तो खुश होना चाहिए आसमान की आतिशबाजी को देखकर... उसे तो खुश होना चाहिए उस भीड़ को देखकर जो शराब के नशे में झूम रही है, ज़रा महसूस तो कर के देखे उस संगीत को, जिस पर लोग थिरक रहे हैं... ये सिगरेट का धुंआ उसे अच्छा क्यूँ नहीं लग रहा... कितनी रौशनी है चारो तरफ...
पता नहीं क्या सोचा था उसने, उसको क्या लगा जीना उतना आसान है, अरे उसको तो उसी समय मर जाना चाहिए था, जब उसके घर बेटी पैदा हुयी थी... उसको शायद पता नहीं था, एक गरीब को बेटी पैदा करने का कोई अधिकार नहीं... उसको क्या लगा था उसकी एक बेटी के मर जाने से हम नए साल का जश्न मनाना छोड़ देंगे... उसको शायद इस नए साल के जश्न का दस्तूर पता नहीं था, अभी भी रो रहा है... उसको तो उन लड़कों का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि अब वो भी चैन से मर सकेगा...
अरे आप क्यूँ परेशान हैं, वो बुड्ढा तो बेवकूफ है, चलिए हम सब नए साल का जश्न मनाएं... आतिशबाजी का बंदोबस्त है न... ??? आप सभी को नया साल मुबारक हो...
पता नहीं क्या सोचा था उसने, उसको क्या लगा जीना उतना आसान है, अरे उसको तो उसी समय मर जाना चाहिए था, जब उसके घर बेटी पैदा हुयी थी... उसको शायद पता नहीं था, एक गरीब को बेटी पैदा करने का कोई अधिकार नहीं... उसको क्या लगा था उसकी एक बेटी के मर जाने से हम नए साल का जश्न मनाना छोड़ देंगे... उसको शायद इस नए साल के जश्न का दस्तूर पता नहीं था, अभी भी रो रहा है... उसको तो उन लड़कों का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि अब वो भी चैन से मर सकेगा...
अरे आप क्यूँ परेशान हैं, वो बुड्ढा तो बेवकूफ है, चलिए हम सब नए साल का जश्न मनाएं... आतिशबाजी का बंदोबस्त है न... ??? आप सभी को नया साल मुबारक हो...