आज कल बेरोजगारी अपने चरम पर है, हर किसी के हाथों में डिग्री है, इंजीनियरिंग से कम में तो कोई बात ही नहीं करता... लेकिन नौकरी ... उसके लिए तो गज़ब की मारामारी चल रही है... ऐसी कोई डिग्री, ऐसा कोई कोर्स नहीं जहाँ नौकरी की गारंटी मिलती हो.... ऐसे में सब अपने कैरियर के चुनाव में पेशोपेश में रहते हैं... स्कूल के समय से ही विद्यार्थियों पर दवाब बन जाता है ताकि वो अपना कैरियर चुनकर उसपर अपना 100 परसेंट दे सकें... तरह तरह के इन अवसरों को तलाश करते युवा गलती से भी कभी राजनीति में आने का नहीं सोचते... आखिर ऐसा क्या है जो उन्हें इस तरफ आने से रोक देता है, जबकि राजनीति के बारे में बातें सभी करते हैं... हर दूसरा आदमी कभी किसी नेता को, अफसर को, सिस्टम को गाली देता हुआ मिल जाएगा... राजनीति को सभी गन्दा कहते हैं लेकिन कोई भी उसमे उतर कर उसको साफ़ नहीं करना चाहता... सभी कहते हैं कि फलाना नेता क्रिमिनल है उसकी छवि साफ़ सुथरी नहीं है... अब जब देश के पढ़े लिखे और जागरूक लोग उधर का रुख ही नहीं करेंगे तो ऐसे लोग आपके प्रतिनिधि बनकर देश चलाएंगे न...
सब बस कोई ठीक ठाक सी नौकरी चाहते हैं, ठीक ठाक सी कमाई हो जाए, शाम को आराम से ऑफिस से लौटें और अपने परिवार के साथ सुकून के दो पल बिताएं... और इसमें कोई बुराई भी तो नहीं है, आखिर अपनी सुविधा कौन नहीं देखता... अब इस बात पर कुछ लोग ये कहते मिल जायेंगे कि भाई साहब हम तो अपनी अपनी जगह पर रहकर भी देश सेवा कर सकते हैं तो फिर राजनीति में उतरने की ज़रुरत क्या है... लेकिन ये सिर्फ अपने बचाव के लिए एक वक्तव्य मात्र है... ये हम सभी जानते हैं कि हम राजनीति में नहीं जाना चाहते चाहे जो भी कारण हो और न ही कोई माता-पिता चाहते हैं कि उनका बेटा या बेटी बड़े होकर कोई नेता बने... अगर कोई युवा इस तरफ अपनी रुचि दिखाए भी तो उसे अपने परिवार में घोर विरोध का सामना करना पड़ेगा...
खैर कारण चाहे जो भी हो, सच यही है कि मेरा भी राजनीति में जाने का कोई इरादा नहीं है... बस इस तरफ थोडा ध्यान दिलाना चाहता था सबका, ताकि अगर किसी के मन में ज़रा भी पेशोपेश हो तो बेधड़क राजनीति का रुख करें.. इस देश को सच में पढ़े लिखे और जागरूक नेताओं की ज़रुरत है...
सब बस कोई ठीक ठाक सी नौकरी चाहते हैं, ठीक ठाक सी कमाई हो जाए, शाम को आराम से ऑफिस से लौटें और अपने परिवार के साथ सुकून के दो पल बिताएं... और इसमें कोई बुराई भी तो नहीं है, आखिर अपनी सुविधा कौन नहीं देखता... अब इस बात पर कुछ लोग ये कहते मिल जायेंगे कि भाई साहब हम तो अपनी अपनी जगह पर रहकर भी देश सेवा कर सकते हैं तो फिर राजनीति में उतरने की ज़रुरत क्या है... लेकिन ये सिर्फ अपने बचाव के लिए एक वक्तव्य मात्र है... ये हम सभी जानते हैं कि हम राजनीति में नहीं जाना चाहते चाहे जो भी कारण हो और न ही कोई माता-पिता चाहते हैं कि उनका बेटा या बेटी बड़े होकर कोई नेता बने... अगर कोई युवा इस तरफ अपनी रुचि दिखाए भी तो उसे अपने परिवार में घोर विरोध का सामना करना पड़ेगा...
खैर कारण चाहे जो भी हो, सच यही है कि मेरा भी राजनीति में जाने का कोई इरादा नहीं है... बस इस तरफ थोडा ध्यान दिलाना चाहता था सबका, ताकि अगर किसी के मन में ज़रा भी पेशोपेश हो तो बेधड़क राजनीति का रुख करें.. इस देश को सच में पढ़े लिखे और जागरूक नेताओं की ज़रुरत है...