5 जून को दिए दिल्ली हाई कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने 15 वर्ष की उम्र में हुए एक मुस्लिम लड़की के विवाह को जायज ठहराया..वैसे भारतीय संविधान के हिन्दू मैरेज एक्ट के अनुसार विवाह की मानित उम्र लड़कियों के लिए 18 और लड़कों के लिए 21 तय की गयी है... लेकिन इसमें मुस्लिम, पारसी, ईसाई और जेविश धर्म का जिक्र नहीं किया गया है... इस्लामिक क़ानून के मुताबिक़ कोई भी मुस्लिम लड़की बिना अपने माता-पिता की इजाज़त के शादी कर सकती है, बशर्ते उसने प्यूबर्टी हासिल कर ली हो. अगर उसकी उम्र 18 साल से कम भी है तो उसे अपने पति के साथ रहने का हक़ है... तो क्या भारतीय संविधान भी धर्म के हिसाब से शादी की उम्र तय करेगा... वैसे अगर दूसरे मुल्कों की बात करें तो मुस्लिम देशों को छोड़कर अधिकतर पश्चिमी देशों में विवाह की उम्र लडकों के लिए 18 और लड़कियों के लिए 16 है... हालाँकि एशिया महाद्वीप में अधिकतर जगह लड़कों के साथ-साथ लड़कियों की भी उचित उम्र 18 ही है... इरान में लड़कियों की न्यूनतम आयु 9 साल निर्धारित की गयी है और ब्रुनेई में तो इससे जुड़ा कोई नियम ही नहीं है यानी वहां बाल विवाह आज भी जायज है... ध्यान रहे कि आज से करीब एक साल पहले कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में सुनाया था कि बिना माता-पिता की अनुमति की कोई भी लड़की 21 साल से कम की उम्र में विवाह नहीं कर सकती... वैसे अगर धर्म, प्रदेश का पक्ष हमलोग दरकिनार कर दें तो भी एक सवाल तो मेरे मन में उठ ही रहा है कि क्या 15 वर्ष की उम्र में विवाह उचित है... अगर हाँ तो इसे बाल विवाह की ही संज्ञा दे दें तो क्या गलत होगा... भले ही लड़की शारीरिक तौर पर थोड़ी तैयार हो लेकिन क्या वो मानसिक तौर पर विवाह की ज़ेम्मेदारियां उठा पाने में सक्षम होगी...बहरहाल उम्मीद करता हूँ इस फैसले का असर आने वाली शादियों पर तो नहीं पड़ना चाहिए... क्यूंकि इतनी कम उम्र में होने वाले विवाह की संख्याओं में अब कटौती हो रही है और मेरे ख्याल से ऐसा होना भी चाहिए... भले ही कोर्ट ने १५ वर्ष की उम्र को विवाह के लिए पर्याप्त मान लिया हो लेकिन ये फैसला आपको करना है कि आप विवाह के लिए उचित अवस्था क्या मानते हैं..
. भाई मेरा तो कहना है कि कानून कोई भी हो लेकिन उसके फायदे और नुक्सान पर भी गौर कर लिया जाना चाहिए... क्या 15 साल की उम्र भी कोई शादी की उम्र होती है... अरे ये पढने-लिखने और खेलने कूदने की उम्र होती है....