Saturday, December 29, 2012

मुझे माफ़ करना कि मैं खुश हूँ तुम्हारे चले जाने से...

पिछले बारह दिन अजीब से थे, दुःख अफ़सोस, गुस्सा... बस यूँ ही लिखता रहा फेसबुक पर, कुछ शब्दों को यहाँ सहेज कर रख ले रहा हूँ ताकि ताउम्र याद रहे ये आज का काला शनिवार....

Many a times i feel ashamed of being a male... shame Delhi, shame on us... 
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इससे तो बेहतर यही है कि लडकियां पैदा होने से पहले ही मार दी जाएँ...

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हम ऐसे देश में रह रहे हैं जहाँ हर २२ मिनट में एक रेप होता है... हम चाहें तो इस बात पर भी गर्व कर सकते हैं....

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जब कोई जानवर वहशी बन जाए तो उसे जल्द से जल्द मार देने में ही समाज की भलाई है... आने वाली जानवरों की नस्लें जब तक भय न खाने लगें, तब तक Shoot-At-Sight का ऑर्डर दे दिया जाए इन जानवरों को देखते ही...
Disclaimer :- इंसान एक दोपाया जानवर है... :-/

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We are born to fight.. keep fighting, and we will win one day 4 sure... #She is not a VICTIM, She is a FIGHTER...

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सप्ताह बदल गया है, लोगों के स्टेटस भी... कहीं दबंग २ की चर्चा है, कहीं मोदी की जयकार और कहीं आज का ट्वेंटी-ट्वेंटी.... कोई कहता है वीकेंड पर क्या कर रहे हो... और कई लोग वीकेंड मनाने के लिए अद्धा-पौआ का इंतजाम करने में लग गए हैं... आगे सोमवार आएगा, ऑफिस की भागदौड़ में सब भूल भी जायेंगे कि कौन असुरक्षित है, किसके साथ क्या हुआ था... अगर उन्हें सज़ा मिलेगी भी तो क्या होगा... हम तो सुसुप्त अवस्था में रहेंगे... ज्यादा से ज्यादा ख़ुशी में एक कैंडल-मार्च निकाल देंगे... फिर कोई नया हादसा होगा और फिर से याद आएगा ये सब कुछ... ये पीरियोडिक गुस्सा है, जो हर हादसे के बाद दिखता है और फिर छुप जाता है... और इस बीच कई शहरों में कई बलात्कार होते हैं... सिर्फ शारीरिक ही नहीं , मानसिक भी... सड़क पर किसी लड़की के साथ चल कर देखिये... सड़कों किनारे खड़े कई लोग आँखों से बलात्कार करते नज़र आयेंगे... वो एक्स-रे भेदी नज़रों के खिलाफ क्या कोई कानून बनाया जा सकता है... ??

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वो गोर थे, ये काले हैं.. लेकिन हैं अंग्रेज ही.. #delhi police

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किसी ने कहा जो खामोश रहते हैं वो बुद्धिजीवी कहलाते हैं... फिलहाल तो देश बुद्धिजीवियों से भरा पड़ा है...

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ये धरना ये जुलूस ये विरोध कोई खरीदी हुयी भीड़ का नहीं था, ये गुस्सा है ये रोष है... ये निकम्मी, निठल्ली सरकार के खिलाफ जो सोयी हुयी है... जिसके हुक्मरानों में इतनी भी रीढ़ की हड्डी नहीं बची है कि वो सामने आकर दो शब्द यही भर कह देते कि वो दुखी हैं, और आगे से ऐसा नहीं होगा... उन बहरे कानों कानों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए ऐसे कई हंगामों, कई धमाकों की जरुरत है...शायद कुछ लोगों को ये गुस्सा तब समझ में आएगा जब खुदा न खास्ता उनके घर में भी कोई हादसा हो जाए... भगवान् न करे कि ऐसा हो, लेकिन जागिये, आखें खोलिए... गुस्सा दिखाईये कि आपकी-हमारी बहनें असुरक्षित हैं....

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जब पूरा देश आपके एक वक्तव्य का इंतज़ार कर रहा था, आप गायब थे... और हर 25 जनवरी और 14 अगस्त की शाम 7 बजे चले आयेंगे राष्ट्र के नाम सन्देश देने के लिए... हम क्यूँ सुने आपकी बात... आक थू......

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कल जो त्रिपुरा में हुआ उसकी सुनवाई भी फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में हो रही है... या फिर उसके लिए भी जुलूस निकालने होंगे...???? जस्टिस ये है कि हर सुनवाई कि गति तेज हो, अगली तारिख, अगली तारीख का ड्रामा बंद हो और किसी भी घटना(जो शीशे की तरह साफ़ है), जिसके सारे अभियुक्त पकडे जा चुके हैं... १० दिनों के अन्दर सजा की घोषणा की जाए.... चाहे वो दिल्ली हो, गुअहाटी हो या त्रिपुरा.....

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मेरी पूरी वॉल शोक संदेशों से भरी पड़ी है... लोग अलग अलग तरह के शब्द इस्तमाल करके दुःख जता रहे हैं... तुम ये थी, तुम वो थी... तुम्हारी कुर्बानी व्यर्थ नहीं जायेगी, फलाना-ढिकाना....
अरे सब बेकार की बातें हैं, तुम्हारी जान, तुम्हारी कुर्बानी सब ख़त्म...
सच्चाई ये है कि जब आधी दिल्ली तुम्हारे लिए बावरी हुयी जा रही थी, उस समय देश के कई कोनों में बीसियों बलात्कार ज़ारी थे, लोग बलात्कार के कारणों को लेकर ब्लू-प्रिंट तैयार कर रहे थे... देश के नेता अपनी अपनी बेटियाँ गिना रहे थे, और महामहिम का कहना था कि सरकार हर जगह चल के नहीं जा सकती, प्रधानमंत्री के अनुसार सब "ठीक था".... और एक महिला वैज्ञानिक तुमसे ही सवाल कर रही थी कि जब तुम ७ लोगों से घिर गयी थी तो तुमने समर्पण क्यूँ नहीं कर दिया...
मैं तुमसे किस मुंह से कहूं कि तुम्हारे जाने के बाद कोई क्रान्ति आने वाली है, जबकि जानता हूँ ऐसा कुछ नहीं होने वाला... आज और कल देश के लोग तुम्हें आखिरी बार याद करेंगे... एक तरफ तुम्राई अंतिम यात्रा में कुछ लोग आंसू बहा रहे होंगे और दूसरी तरफ इसी शहर के किसी दुसरे कोने में एक बलात्कार हो रहा होगा...


अलविदा, मैं खुश हूँ कि तुम अब ऐसी जगह जा रही हो जहाँ शायद कोई किसी का बलात्कार तो नहीं करता...
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