हमें ना समझाओ कि उदास हैं हम
हमें न बुलाओ कि उदास हैं हम,
ज़िन्दगी मेरे करीब से गुज़र गयी
यह भी न देखा कि पास हैं हम,
जिसकी सुबह मोड़ से लौट गयी
ऐसी रात की टूटी आस हैं हम,
और उम्र न दे मुझे ए रब
इस ज़िन्दगी से निराश हैं हम,
ओस की एक बूँद को तरसती रह गयी
इस मैदान की वो सूखी घास हैं हम....