Monday, November 22, 2010

यह हैं देश के सच्चे सपूत और आप इन्हें ही नहीं पहचान पाए ....

               आईये आपको मिलवाते हैं इस महान व्यक्तित्व से जिसने महज २५ साल की उम्र में इस देश के लिए अपनी जान दे दी |


              नाम तो पढ़ ही लिया होगा आपने इनकी वर्दी पर, जी हाँ ये हैं स्व० कैप्टन विक्रम बत्रा | कारगिल युद्ध के हीरो रहे विक्रम बत्रा को उनके दोस्त उन्हें उनकी बहादुरी के कारण शेर शाह बुलाते थे | ९ सितम्बर १९७४ को हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गाँव घुग्गर में जन्मे और १९९६ में देहरादून के इंडियन मिलिट्री अकादमी से सेना में पदार्पण किया |  १९९९ में जब कारगिल में जंग शुरू हुई तो इन्हें १३ जम्मू एंड कश्मीर रायफल्स की कमान सौंपी गयी | अपने साथियों के साथ मिलकर इन्होने बहुत ही वीरता से अपने कर्तव्य का निर्वहन किया, हालाँकि इस दौरान वो काफी घायल हो गए | फिर भी उन्होंने अपने साथी कैप्टेन अनुज नायर के साथ मिलकर ५ चोटियों पर कब्ज़ा जमाया | लेकिन ७ जुलाई १९९९ की सुबह अपने एक साथी लेफ्टिनेंट नवीन की जान बचाते बचाते शहीद हो गए.......
              उन्होंने ले० नवीन को ये कहकर पीछे धकेल दिया " तू बाल बच्चेदार है!! हट जा पीछे, मेरी तो अभी शादी भी नहीं हुई है |"   और दुश्मनों की गोलियों ने उनके सीने को छलनी कर दिया | उनके आखिरी शब्द थेजय माता दी....."
              १५ अगस्त १९९९ को उन्हें मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सैनिक सम्मान परमवीर चक्र दिया गया | 
मेरी तरफ से इस शहीद और उन तमाम शहीदों को जिन्होंने इस देश के लिए अपनी जान दे दी , शत शत नमन.....
               ये लेख लिखते लिखते मन भारी भारी सा हो गया है |
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